ज़ी में बड़े स्तर की छंटनी के बाद ज़ी हिंदुस्तान की बारी

“ज़ी न्यूज को देखकर नींद आती है, लेकिन ज़ी हिंदुस्तान देखने का मन करता है.” ज़ी के एक कर्मचारी के अनुसार यह बात ज़ी समूह के मालिक सुभाष चंद्रा ने कर्मचारियों से एक मीटिंग में कही थी. लेकिन अब उसी चैनल को बंद किया जा रहा है, जिसे देखने का कभी मन हुआ करता था.

इस महीने की शुरुआत से ही संकेत मिल रहे हैं कि ज़ी मीडिया समूह में सब ठीक नहीं है. पहले ‘क्लस्टर सिस्टम’ हो हटा कर तीन चीफ बिजनेस ऑफिसर नियुक्त किए गए, फिर खर्चा कम करने के नाम पर करीब 150 से अधिक लोगों को निकाल दिया गया. बाद में इस छंटनी लिस्ट में अतिरिक्त नाम भी जुड़ते गए.

ज़ी हिंदुस्तान के एक कर्मचारी ने बताया, “गुरुवार को मीटिंग हुई थी. जिसके बाद रात में करीब 10 बजे के बाद कर्मचारियों को बताया गया कि चैनल बंद हो रहा है.”

चैनल के बंद होने की बात तो कर्मचारियों को बता दी गई लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई आधिकारिक मेल नहीं भेजा गया है. 

कर्मचारी बताते हैं, “चैनल के बंद होने की बात तो बहुत दिन पहले की जा रही थी, लेकिन आखिरकार बंद अब हो रहा है.”

कुछ लोग इसकी वजह टीआरपी नहीं आने को मानते हैं, तो वहीं कुछ के मुताबिक एक ही ग्रुप के दो राष्ट्रीय चैनल होने से दर्शक बंट जा रहे हैं, जिससे दोनों ही चैनलों को टीआरपी नहीं मिल पा रही है.

ज़ी हिंदुस्तान की शुरुआत 2017 में तत्कालीन सीईओ जगदीश चंद्रा ने की थी. शुरुआत में चैनल एंकर रहित रहने वाला था, यानी अन्य चैनलों की तरह यहां एंकर खबर पढ़ते नहीं दिखाई देते बल्कि पत्रकार ही खबरें देते.

चैनल ने लॉन्च होने के 100 दिनों के भीतर ही रेटिंग में लंबी छलांग लगाई और वह हिंदी समाचार चैनलों में टीआरपी के पायदान पर 8वें नंबर पर पहुंच गया. हालांकि एक साल बाद जगदीश ने कंपनी छोड़ दिया.

2020 में समूह ने एक बार फिर से चैनल को लॉन्च किया. इस बार चैनल के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह थे जो इससे पहले रिपब्लिक भारत में काम करते थे.

गुरुवार को आखिरी फैसला और शुक्रवार से बंद

जैसा कि रिपोर्ट में उल्लेख हुआ, चैनल को बंद करने की बात तो बहुत दिनों से चल रही थी लेकिन अंततः बंद करने का फैसला गुरुवार को लिया गया. 24 नवंबर की देर रात, कर्मचारियों को बता दिया गया कि चैनल बंद हो रहा है. 

शुक्रवार को सभी कर्मचारियों से कहा गया कि वे इस्तीफा दे दें. इसके बाद, शुक्रवार दोपहर 12 बजे से चैनल बंद हो गया. हिंदुस्तान में काम करने वाले एक कर्मचारी बताते हैं, “शुक्रवार सभी को बुलाया गया और उनसे इस्तीफा मांगा गया. कंपनी द्वारा आधिकारिक तौर पर इस्तीफा देने को लेकर कोई मेल नहीं भेजी गई.”

चैनल के एक वरिष्ठ संपादक कहते हैं, “12 बजे के बाद सभी रिकार्डेड कार्यक्रम ही दिखाए जा रहे हैं. कामकाज बंद हो गया है. सभी को दो महीने की सैलरी देने को कहा गया है.”

हालांकि चैनल की वेबसाइट बंद नहीं हुई है. चैनल बंद होने के कारण करीब 300 कर्मचारियों को निकाला गया. ज़ी मीडिया ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि ज़ी हिंदुस्तान को ‘रिस्ट्रक्चर’ किया जा रहा है. आधिकारिक बयान में चैनल बंद होने की बात नहीं कही गयी, लेकिन कॉर्पोरेट भाषा में ‘रिस्ट्रक्चर’ का अर्थ अमूमन यही होता है.

ज़ी प्रेस नोट

‘एंकर रहित’ से एंकर सहित

ज़ी हिंदुस्तान की शुरुआत तो एक ‘एंकर रहित’ चैनल की कल्पना के साथ की गई थी, लेकिन बाद में यह भी अन्य एंकरों वाले चैनलों जैसा ही हो गया. इस बदलाव की शुरुआत शमशेर सिंह के चैनल में आने से पहले हो गई थी.

ज़ी के एक कर्मचारी बताते हैं, “जब शमशेर सिंह आए तो उन्होंने कहा कि वह इस चैनल को टीआरपी में ज़ी न्यूज से भी आगे ले जाएंगे. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. बल्कि ज़ी न्यूज देखने वाले दर्शक बंट गए, जिस कारण ज़ी भी टीआरपी में नीचे आ गया.”

ज़ी हिन्दुस्तान में आने से पहले शमशेर सिंह रिपब्लिक भारत के चैनल को देख रहे थे. उनके कार्यकाल में ही रिपब्लिक अपनी कथित बेहतरीन रिपोर्टिंग के ज़रिये टीआरपी में अव्व्वल चैनल बन गया था. (टीआरपी के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

जब वह ज़ी हिंदुस्तान आए, तो यहां भी उसी तर्ज पर तथाकथित पत्रकारिता शुरू हो गई. हर दिन हिंदु-मुस्लिम, भड़काऊ मुद्दों, वैक्सीन जिहाद आदि मुद्दों पर बहस के जामे में शोर-शराबा दिखाया जाने लगा. वैक्सीन जिहाद के नाम पर ज़ी हिंदुस्तान के झूठे और सांप्रदायिक कवरेज को लेकर एनबीडीएसए ने चैनल को वीडियो हटाने का आदेश भी दिया था.

सुधीर चौधरी के ज़ी को छोड़ने के बाद वर्तमान में डीएनए कार्यक्रम को होस्ट कर रहे एंकर रोहित रंजन इससे पहले ज़ी हिदुस्तान में ही एंकरिंग किया करते थे.

ज़ी हिंदुस्तान में काम करने वाले एक कर्मचारी कहते हैं, “शमशेर सिंह के आने के बाद टीआरपी कुछ समय के लिए बंद हो गई. फिर जब चालू हुई तो कुछ समय टीआरपी आई, लेकिन बाद में वह भी कम हो गई. उन्हें लगा कि वे रिपब्लिक वाले मॉडल से यहां भी टीआरपी ले आएंगे, “लेकिन कब तक रटा-रटाया पैर्टन चलेगा’”.

चैनल बंद होने को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि ज़ी हिंदुस्तान, कमाई नहीं कर पा रहा है और घाटे में चल रहा है. इस बात में सच्चाई है. हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ज़ी मीडिया के 10 चैनलों की डिश टीवी टेलीपोर्ट के जरिए अपलिंकिंग की मंजूरी को रद्द कर दिया. इस वजह से समूह के चैनलों को मिलने वाली टीआरपी को भारी धक्का लगा.

हालांकि इसके बाद चैनल ने खुद को बार्क की रेटिंग व्यवस्था से अलग कर लिया था.

बता दें कि इन दिनों ज़ी समूह में बड़े स्तर पर छंटनी चल रही है. हर चैनल से लोगों को निकाला जा रहा है. हाल ही में उड़िया में चलने वाले ज़ी ओडिशा चैनल को बंद कर दिया गया, जिसके कारण वहां कार्यरत काफी लोगों की नौकरी भी चली गई है.

स्वतंत्र मीडिया का समर्थन और सहयोग करना आज बहुत जरूरी हो गया है. हमें आपके सहयोग की जरूरत है. क्योंकि हम सरकारों या कॉर्पोरेट विज्ञापन दाताओं के सहयोग पर नहीं, बल्कि आपके सहयोग पर निर्भर हैं. तुरंत सब्सक्राइब करें.

source https://hindi.newslaundry.com/2022/11/26/zee-group-shuts-zee-hindustan

Comments

Popular posts from this blog

Sushant Rajput case to Zubair arrest: The rise and rise of cop KPS Malhotra

Delhi University polls: Decoding first-time voters’ decisions

Hafta letters: Caste census, Israel-Palestine conflict, Bajrang Dal