सिद्दीकी कप्पन को अपने खिलाफ दोनों मामलों में मिली जमानत, फिर भी वह जेल में क्यों हैं बंद?

23 दिसंबर, शुक्रवार को लखनऊ बेंच द्वारा कप्पन को जमानत मिल गई थी, जो 2 जनवरी तक अदालतों के लिए अंतिम कार्य दिवस भी था. उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि उन्हें एक निजी मुचलका और दो स्थानीय, विश्वसनीय जमानत देने के बाद रिहा किया जाएगा.

कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वे प्रक्रिया पूरी करने के लिए अदालतों के फिर से खुलने तक इंतजार करने के लिए मजबूर हैं. इसके अतिरिक्त, व्यक्तिगत बांड की राशि पीएमएलए अदालत द्वारा तय की जाएगी जो अगले सप्ताह के सत्र में ही होगी.

दानिश ने कहा कि कप्पन की टीम फिलहाल जमानत के लिए स्थानीय लोगों की तलाश कर रही है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि अदालत में जमानत भरने से पहले ऐसा हो जाएगा.

कप्पन सितंबर 2020 से जेल में हैं. हाथरस में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और उसकी मौत के बाद रिपोर्ट करने के लिए हाथरस जाते समय उन्हें यूएपीए के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राजद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2022 को इस मामले में उन्हें जमानत दे दी थी.

लेकिन पिछले साल फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके और अन्य के खिलाफ दायर पीएमएलए मामले के सिलसिले में वह जेल में रहे. कप्पन पर दंगा भड़काने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था. यूपी पुलिस ने पीएफआई से सांठगांठ का आरोप लगाया था, जिसमें कप्पन की हाथरस यात्रा कथित तौर पर रऊफ शरीफ के निर्देश पर थी, जो ईडी के मामले में सह-आरोपी भी है.

लखनऊ के एक सेशन न्यायालय ने अक्टूबर में कप्पन की जमानत नामंजूर कर दी थी. कप्पन को उच्च न्यायालय द्वारा पिछले सप्ताह जमानत देने के लिए दो महीने और इंतजार करना पड़ा. उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने कहा, “सह-अभियुक्त अतीकुर रहमान के खाते में 5,000 रुपए ट्रांसफर किए जाने के आरोपों के अलावा, न आरोपी-आवेदक के बैंक खाते में या सह आरोपी का बैंक खाते में कोई अन्य लेनदेन नहीं है. यहां तक कि अगर यह माना जाता है कि अपराध की आय का हिस्सा सह-अभियुक्त अतीकुर रहमान के खाते में स्थानांतरित किया गया था, तो भी यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है कि अभियुक्त-आवेदक ने 1,36,14,291 रुपए की राशि का लेनदेन किया है, जो कथित रूप से रऊफ शरीफ द्वारा प्राप्त किया गया था.”

अदालत ने कहा कि कप्पन को जमानत, आंशिक रूप से इस बिंदु की वजह से दी गई थी. कप्पन के भविष्य में इस तरह के अपराध करने की कोई संभावना नहीं थी और वह अक्टूबर 2020 से “विधेय अपराधों” में जेल में था.

अदालत ने कहा कि आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी “वर्तमान में जमानत अर्जी पर निर्णय के लिए सीमित थी” और कप्पन के खिलाफ “पीएमएलए के तहत चल रही समायोजन कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी.”

यूएपीए जमानत

कप्पन के वकील ने कहा कि अभी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यूएपीए मामले में  प्रस्तुत जमानतदारी अभी तक सत्यापित नहीं की गई हैं.

दानिश ने कहा, “हमने जमानतदारी पेश की और तीन महीने पहले प्रक्रिया शुरू की. इसे सत्यापित करने में एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए. यह सबसे बड़ा मुद्दा है जिसका हम अभी सामना कर रहे हैं.”

जमानत के रूप में खड़े दो व्यक्तियों को अदालतों द्वारा समन किए जाने पर उन्होंने कहा, “शुरुआत में जब सत्यापन शुरू हुआ, तब उन्हें तलब किया गया था. जमानत की कार्यवाही पूरी करने के लिए उन्हें दोबारा बुलाया जाना चाहिए. पर ऐसा नहीं हुआ.”

कप्पन के वकीलों को जमानतदार के रूप में खड़ा करने के लिए उत्तर प्रदेश के निवासी ढूंढ़ने के लिए मशक्क्त करनी पड़ी. आखिरकार एक स्थानीय, लखनऊ विश्वविधालय की पूर्व कार्यवाहक कुलपति रूप रेखा वर्मा सामने आईं, उन्होंने उस समय न्यूज़लॉन्ड्री से कहा था, “अगर मैं ये छोटी सी मदद नहीं करती, तो खुद का सामना नहीं कर पाती.”

आप ये इंटरव्यू यहां देख सकते हैं.

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

source https://hindi.newslaundry.com/2022/12/27/siddique-kappan-got-bail-in-both-cases-against-him-but-remains-in-jail

Comments

Popular posts from this blog

Sushant Rajput case to Zubair arrest: The rise and rise of cop KPS Malhotra

प्राइम टाइम पर हिंदू राष्ट्र की चर्चा: सीएनएन न्यूज़-18 पर पुरी शंकराचार्य का इंटरव्यू

Unravelling the friction between CPIM and Kerala’s major media houses