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Showing posts from March, 2023

Unlocking April with 4 NL interviews made free

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It’s April, the time for spring, tax filings in a fresh assessment year, and pranks.  To keep up with the spirit of this month, we decided to take a walk down our paywalled inventory, to fish for gems that must be shared with our audiences. Four paywalled NL interviews are now free for public viewing. But only for April. And no, it’s not a hoax. Tajinder Bagga, the Delhi BJP spokesperson and founder of the Bhagat Singh Kranti Sena sat down for a conversation with Abhinandan Sekhri back in 2012. He, his party, and the country have come a long way since. In another interview in 2015, Manohar Lal Sharma, the defence lawyer in the Nirbhaya gang-rape case, shared some gyaan on rape victims and suspects, giving insights into the root cause for rape culture. Who can forget “facts are not facts” – a crown jewel of the meme world? Long before he came up with his propaganda Kashmir Files , filmmaker Vivek Agnihotri spoke to us in 2016 about being a “moderate” and having an equal distast

कार्टूनः अ से अदानी!

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सत्ता से सच बोलने के लिए, कार्टून एक बहुत ही पुरानी और साहसिक विधा है. हालांकि भारत में कार्टूनिस्टों पर, चाहे वह मीडिया में हों या फिर उसके बाहर, अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति को सीमित कर देने का दबाव है जिससे वे सत्तारूढ़ लोगों को चिढ़ा न दें, जिसमें वो निपुण हैं. उन्हें सेंसर किया जा रहा है या फिर वे खुद को सेंसर करने के लिए मजबूर हैं.  न्यूज़लॉन्ड्री पर संपादकीय कार्टूनिस्ट मंजुल का यह साप्ताहिक स्तंभ (सो स्केची) इस दबाव को कम करने का एक प्रयास है. हम कार्टून के ज़रिए से राजनीतिक टिप्पणी की ख़त्म होती परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. यह एक ऐसा माध्यम है जिसे अब पहले से कहीं ज़्यादा पुरस्कृत करने की ज़रूरत है, न कि सेंसर करने की. सो स्केची इसी दिशा में बढ़ता एक कदम है. हम इससे कहीं ज्यादा करना चाहते हैं और उसके लिए आपका सहयोग आवश्यक है, क्योंकि हम केवल आपके समर्थन से ही चलते हैं. हमारा  सहयोग  करें: क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर

‘Russia has crossed the Rubicon’: Press groups condemn Russia’s detention of WSJ reporter

Global press groups have condemned Russia’s detention of a Wall Street Journal reporter on charges of “espionage”. Evan Gershkovich, 31, was detained in Yekaterinburg on Wednesday. Russia alleged he had “collected information classified as a state secret” and had been “acting on US instruction”, BBC reported .  The US condemned the detention “in the strongest possible terms”, calling it part of “the Kremlin’s continued attempts to intimidate, repress, and punish journalists and civil society voices”. The Wall Street Journal “vehemently” denied the allegations against Gershkovich and sought “the immediate release of our trusted and dedicated reporter”. Reporters Without Borders issued a statement asking Russian authorities to “clarify the espionage charges” against Gershkovich, describing it as “an arrest that is unprecedented since the Cold War”. “There is no indication that this recognised journalist was doing anything other than legitimate investigative reporting in the fiel

‘Dire imposition on press freedom’: Global media group on ‘press blackouts’ in Punjab during Amritpal search

The International Federation of Journalists yesterday condemned “government censorship, press blackouts and restriction of journalists’ social media accounts” in Punjab as a fallout of the search for Waris Punjab De chief Amritpal Singh. It described these moves as “dire impositions on press freedom and democracy in India”. In a statement , the group urged Indian authorities to “respect freedom of expression and access to information and immediately cease all restrictions on journalists and media workers”. The crackdown on Singh has spanned two weeks so far. The fugitive leader went live on YouTube yesterday saying he won’t surrender, two days after the Punjab government told the high court it was “close” to arresting him. Multiple Twitter accounts have been withheld in India during this search for Singh, including accounts belonging to journalists . Most recently, BBC Punjabi ’s Twitter account was withheld in India on March 28 “in response to a legal demand”. Internet services

Reading too much or too little? Decoding Nitish’s remarks on Rahul Gandhi’s disqualification

It has been barely a week since the Janata Dal (United) reiterated the key role of the Congress in any viable alliance of opposition parties in national politics. This was in line with what Bihar chief minister Nitish Kumar had said at a rally in Haryana last year. But that hasn’t meant that Nitish has been vociferous in joining the protest against Rahul Gandhi’s disqualification from the Lok Sabha following his conviction in a defamation case. Instead, Nitish’s cryptic response has yet again sparked attempts to read possible clues – also running the risk of overreading them. Nitish chose not to engage with the question of Rahul’s disqualification. Instead, he said, “I do not comment on court matters.” But he was quick to add that his party had joined protests against the disqualification. Further, he expressed the wish that many more parties unite against the BJP-led government at the centre in the 2024 Lok Sabha poll. Pitching his efforts towards coordination, he talked about di

Daily Dose Ep 1313: Lakshadweep MP reinstated, Parliament proceedings

Gurmehar Kaur brings you the news from Lakshadweep, Karnataka, Delhi and Assam. Produced by Aditya Varier, edited by Satish Kumar . source https://www.newslaundry.com/2023/03/29/daily-dose-ep-1313-lakshadweep-mp-reinstated-parliament-proceedings

आंकड़ों में फंसी पत्रकारिता, तस्करी में 'अव्वल भारत' और बाघ संरक्षण की 'हकीकत'

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आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित पत्रकारिता एक नई पद्धति है. सूचना क्रांति का यह दौर, सूचनाओं के अधार पर एक और नई सूचना निर्मित करने और इसे एक नए आवरण में प्रस्तुत करने के सिद्धांत पर आधारित समझा जाता है. सूचना क्रांति के दौर में खबरदाता की खामोशी बढ़ती गई है. सूचनाओं के आंकड़ों पर आधारित पत्रकारिता में खबर बनाने और खबर को झुठलाने की कौशलता के बीच एक युद्ध चलता है. पाठक, दर्शक और श्रोता इन दो पक्षों में एक को सुनने के लिए स्वतंत्र है. यह युद्ध पाठक, दर्शक और श्रोता की इस स्वतंत्रता को जीतने का लक्ष्य लिए है.  बाघों के अंगों के आंकड़ों से खेलने की पत्रकारिता  देश के एक प्रमुख हिन्दी दैनिक अखबार ‘राजस्थान पत्रिका’ में 9 नवंबर 2022 को ‘भारत बाघों की तस्करी का गढ़’ शीर्षक से एक सूचना प्रमुखता से प्रकाशित हुई. खबर को उसी रूप में यहां प्रस्तुत किया जा रहा है. राजस्थान पत्रिका का लेख खबर के प्रकाशित होने के बाद भारत सरकार के प्रेस सूचना कार्यालय ने 10 नवंबर को प्रकाशित सामग्री का खंडन जारी किया. उसे भी यहां प्रस्तुत किया जा रहा है.  ‘राजस्थान पत्रिका’ में 09 नवंबर 2022 को “भारत बाघों की त

एनडीटीवी के बाद अडानी ने खरीदी क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में हिस्सेदारी

न्यू दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) के बाद अब अडानी ग्रुप ने एक और मीडिया कंपनी का अधिग्रहण कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अडानी ग्रुप की कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क्स ने डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया की 49 फीसदी हिस्सेदारी अपने नाम कर ली है. अडानी ग्रुप ने 47.84 करोड़ रुपए में इसका अधिग्रहण किया है. बता दें कि राघव बहल और रितु कपूर ने द क्विंट की स्थापना की थी. क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया ब्लूमबर्ग क्विज चलाता है. इसे अब बीक्यू प्राइम कहा जाता है. बीक्यू प्राइम एक न्यूज़ मीडिया प्लेटफॉर्म है.  अडानी ग्रुप ने गत वर्ष 26 अप्रैल, 2022 को एएमजी मीडिया नेटवर्क लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी. कंपनी का मुख्य उद्देश्य पब्लिशिंग, ब्रॉडकास्टिंग और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन का है. ज्ञात क्विंटिलियन मीडिया से पहले अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी का अधिग्रहण हासिल किया है. एनडीटीवी में अडानी ग्रुप की 64.71 फीसदी हिस्सेदारी है. एनडीटीवी में अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी पर न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं.  क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सक

गांधी से राहुल तक: लोकतंत्र बचाने में क्या देश, क्या विदेश

लड़ाई मैदान में थी- एकदम आमने- सामने की! युद्ध के इस मैदान से महात्मा गांधी ने देश से और वायसराय से दो अलग-अलग बातें कहीं थी. देश से कहा कि अब साबरमती आश्रम लौटूंगा तभी जब आजादी मेरे हाथ में होगी, कुत्ते की मौत भले मरूं लेकिन आजादी बिना आश्रम नहीं आऊंगा, दूसरी तरफ वायसराय को खुली चुनौती दी कि आपको अपना नमक कानून रद्द करना ही पड़ेगा! आग दोनों तरफ लगी थी, और ऐसे में किसी अमरीकी अखबार वाले ने (आज के ‘मीडिया वाले’ जरा ध्यान दें) पूछा, “इस लड़ाई में आप दुनिया से क्या कहना चाहते हैं?” तुरंत कागज की पर्ची पर गांधी ने लिखा, “आई वांट वर्ल्ड सिंपैथी इन दिस बैटल ऑफ राइट एगेंस्ट माइट यानी मैं सत्ता की अंधाधुंधी बनाम जनता के अधिकार की इस लड़ाई में विश्व की सहानुभूति चाहता हूं.” पत्रकार भारत का कोई ‘राहुल गांधी’ नहीं था, सीधा अमेरिका का था; लड़ाई चुनावी नहीं थी, साम्राज्यवाद के अस्तित्व की थी; लेकिन दिल्ली में बैठे वायसराय ने या लंदन में बैठे उनके किसी आका ने नहीं कहा कि गांधी भारत के आंतरिक मामले में विदेशी हस्तक्षेप को बुलावा दे रहे हैं. ऐसा एक बार नहीं, कई बार हुआ कि गांधी ने भारत की आजादी की ल

बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद, राजस्थान में किसान ने की खुदकुशी

“यह उनकी आखिरी फसल थी" रमेश ने अपने रिश्तेदार पृथ्वीराज बेरवा का जिक्र करते हुए कहा. पृथ्वीराज ने पिछले हफ्ते बारिश के चलते फसल खराब होने के बाद आत्महत्या कर ली थी.  बेरवा अनुसूचित जाति के 60 वर्षीय किसान थे. वह राजस्थान के बूंदी जिले में माजर गांव में तीन बीघा जमीन पर गेहूं की खेती करते थे. “पिछले महीने उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए इस जमीन को भी बेच दिया. लेकिन उनकी सारी फसल खराब हो गई, जिससे वह उदास हो गए होंगे.” रमेश ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया.  पिछले कुछ दिनों में राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण कृषि को भारी नुकसान हुआ है. गेहूं, उत्तर भारत में एक प्रमुख रबी फसल है. कई क्षेत्रों में इसकी कटाई चल रही है. वहीं, कुछ इलाकों में फसल का पूरी तरह तैयार होना बाकी है. बारिश से हुए नुकसान का पता लगाने के लिए राज्य सरकारों ने अभी तक सर्वेक्षण पूरा नहीं किया है. केंद्र सरकार का कहना है कि रबी फसलों को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन वह राज्यों से रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, बूंदी मुख्य रूप

Reporters Without Orders Ep 264: Women’s healthcare, UP journalists’ woes

This week, it’s an all- Newslaundry panel as host Basant Kumar is joined by Tanishka Sodhi and Anmol Pritam.  Tanishka this week reported on women in India being denied access to vaginal ultrasounds if they’re unmarried. She explains how doctors are hesitant to perform these vital procedures due to patriarchal notions about sexual activity among young, unmarried women. The panel then discusses two stories by Anmol on two journalists struggling with very unique sets of circumstances. Tune in for more. Timecodes 00:00:00 - Introduction 00:01:40 - Women denied healthcare 00:12:35 - Journalist’s poha stall 00:27:05 - Journalist’s arrest 00:35:43 - Recommendations Recommendations Tanishka Seven murders, one confession and missing evidence: The 'Ripper' story Anmol Inventing Anna Basant Caught Out: Crime. Corruption. Cricket ज़ी न्यूज़ से निकाले जाने के बाद पत्रकार बेच रहा पोहा-जलेबी ‘Are you married?’: Across India, unmarried women are denied access to an essen

How sealed covers in court became the norm for the state

In February 2022, the central government revoked MediaOne’s security clearance “for reasons of national security and public order.” The Malayalam news channel challenged the ban in the Kerala High Court and asked why it was taken off the air. The central government produced documents explaining why – but handed it over to the court in a sealed cover. The high court upheld the ban based on these documents that MediaOne never got to see, assess or use to tailor its defense. The channel’s lawyers vehemently argued this point in court, saying it was essential that both sides have access to the other side’s material. “The basic principle of natural justice is that a person who is being charged must know on what basis they are being charged,” senior advocate Dushyant Dave, who had appeared for MediaOne , told Newslaundry . “It affects the citizens and is a gross violation of the principles of natural justice.” The Supreme Court agreed with Dave, temporarily staying the ban and saying it

Who Owns Your Media: The Indian Express empire and where it stands today

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Twenty-three years ago, Robin Jeffrey, a professor of politics at Melbourne’s La Trobe University, had described Ramnath Goenka’s “ Indian Express empire” as the “grandest version of newspapers with some link to the ‘freedom struggle’” in his book. When Goenka died in 1991, Jeffrey wrote in India’s Newspaper Revolution: Capitalism, Politics and the Indian-Language Press (1977-99)  that “his newspapers were published in cities and towns in every region of India except Calcutta and the east.” But the Indian Express was not started by Goenka. It was started in 1932 by Varadarajulu Naidu, an ayurvedic doctor and Congressman. According to Warrior of the Fourth Estate by BG Verghese, the newspaper was priced at one anna and published by Naidu’s Tamil Nadu press. In the first issue on September 5, 1932, the front page was solely devoted to seven display advertisements and the masthead was ornate with a crest resembling a coat of arms inscribed with a Tamil motto.  While the book doesn’t

कार्टून: अंधा कानून!

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सत्ता से सच बोलने के लिए, कार्टून एक बहुत ही पुरानी और साहसिक विधा है. हालांकि भारत में कार्टूनिस्टों पर, चाहे वह मीडिया में हों या फिर उसके बाहर, अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति को सीमित कर देने का दबाव है जिससे वे सत्तारूढ़ लोगों को चिढ़ा न दें, जिसमें वो निपुण हैं. उन्हें सेंसर किया जा रहा है या फिर वे खुद को सेंसर करने के लिए मजबूर हैं.  न्यूज़लॉन्ड्री पर संपादकीय कार्टूनिस्ट मंजुल का यह साप्ताहिक स्तंभ (सो स्केची) इस दबाव को कम करने का एक प्रयास है. हम कार्टून के ज़रिए से राजनीतिक टिप्पणी की ख़त्म होती परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. यह एक ऐसा माध्यम है जिसे अब पहले से कहीं ज़्यादा पुरस्कृत करने की ज़रूरत है, न कि सेंसर करने की. सो स्केची इसी दिशा में बढ़ता एक कदम है. हम इससे कहीं ज्यादा करना चाहते हैं और उसके लिए आपका सहयोग आवश्यक है, क्योंकि हम केवल आपके समर्थन से ही चलते हैं. हमारा  सहयोग  करें: क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर

Events linked to RSS, BJP, but Times Now Navbharat aired them as ‘Muslims happy with Modi’

“Muslims in Uttar Pradesh are happy with the efforts of PM Modi and CM Yogi,” declared a news segment aired on Times Now Navbharat on January 19. It relied on a ground report from Prime Minister Narendra Modi’s constituency Varanasi, where an event had been organised by an outfit called Vishal Bharat Sansthan. he telecast came the same day the ministry of external affairs had issued its first remarks on the controversial BBC documentary series on the 2002 Gujarat riots and PM Narendra Modi’s relationship with Indian Muslims. The MEA had termed it a “propaganda piece”, two days after the BBC premiered the series in the UK. The nearly eight-minute-long ground report on Times Now Navbharat , meanwhile, featured several bytes from participants, mostly Muslim clerics, at the event called Jalsa-e-Ulmaye-Islam. The reporter introduced the event by talking about the outreach to Muslims by the PM as well as the Rashtriya Swayamsevak Sangh. “They are responsible for the Godhra carnage – be