एनएल चर्चा 263: विवाह का समान अधिकार और कानून व्यवस्था का ‘बंटाधार’

इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना के काफिले पर आतंकी हमला, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए, के अलावा सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता पर सुनवाई, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा गैर-सरकारी संस्था ऑक्सफैम इंडिया और उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफसीआरए के तहत मामला दर्ज करना, यूपी में अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या पर मानवाधिकार आयोग द्वारा यूपी पुलिस से चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगना, कोविड-19 का संक्रमण फिर से फैलना, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकीस बानो के गैंगरेप के आरोपियों की रिहाई पर गुजरात सरकार से जवाब मांगना, नवी मुंबई के खारघर में आयोजित अवॉर्ड सेरेमनी, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए, में गर्मी लगने से 13 लोगों की मौत होना और जनसंख्या के मामले में भारत का चीन को पछाड़ देना शामिल रहे.

चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया. बतौर मेहमान इस चर्चा में समान अधिकार कार्यकर्ता और सुप्रीम कोर्ट में विवाह के समान अधिकार को लेकर याचिकाकर्ता हरीश अय्यर, वरिष्ठ पत्रकार अभिज्ञान प्रकाश और हृदयेश जोशी शामिल हुए. 

चर्चा की शुरुआत करते हुए शार्दूल ने हरीश से सवाल किया, “समलैंगिक जोड़ों को शादी का अधिकार मिलना जरूरी क्यों हैं और क्या समाज में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ी है?”

सवाल का जवाब देते हुए हरीश कहते हैं, “ये समलैंगिक विवाह के बारे में नहीं बल्कि विवाह के समान रूप से अधिकार के बारे में है. किन्हीं भी दो व्यस्कों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी का अधिकार होना चाहिए, चाहे वो महिला हों या पुरुष हों. अभी भी शादियां हो रही हैं. मैं अभी तक तीन LGBTQ+ शादियों में शामिल हो चुका हूं. आप एक समारोह करके शादी कर सकते हैं. उस पर कोई रोक टोक नहीं है. मगर हम कानूनी मान्यता देने की बात कर रहे हैं और ये इसीलिए जरूरी है क्योंकि जब अचानक से कोरोना आया तो पहली लहर में LGBTQ+ समुदाय के बहुत से लोग, जो बड़े शहरों में अपने पार्टनर या प्रेमी के साथ रह रहे थे, वे उनसे जुदा हो गए क्योंकि उनके पार्टनर या प्रेमी की नौकरी चली गई. ऐसे भी मामले हैं जिनके मां-बाप ने उन्हें अस्वीकार कर दिया है. इलाज के दौरान भी इन लोगों को पार्टनर के लिए आवाज उठाने का कानूनी हक नहीं था. इसके अलावा होम लोन, इंश्योरेंस समेत कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनमें कानूनी मान्यता की जरूरत है.”

इसी विषय पर बात रखते हुए अभिज्ञान प्रकाश कहते हैं, “कोई तो विषय है जिस पर मीडिया वाले प्रोग्रेसिव दिख रहे हैं. ये तो सच है कि बरसों से समाज में छुपकर ये समस्या चली आ रही है. मैं उन लोगों की बहुत इज्जत करता हूं जो इसे अदालत तक लेकर गए और समलैंगिक संबंधों के लिए कानूनी मान्यता हासिल की. अभिनेता मनोज वाजपेयी ने भी एक फिल्म में काम किया था, जो इसी मुद्दे पर थी. मीडिया से लेकर सिनेमा तक ये इसीलिए उजागर हुआ क्योंकि असलियत में तो ये बहुत बड़ी समस्या है समाज की. इसका मजाक बनाना और इसे ढककर रखना, इसको नकारात्मक नजरिए से देखना भी लोगों को पसंद है लेकिन ये बदलता कब है? ये तभी बदलेगा जब इसे छुपाने की बजाए इस पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा होगी.”

हृदयेश जोशी इस मुद्दे पर छोटा सा किस्सा सुनाते हैं, वे कहते हैं, “मैंने एक सोशलिस्ट लीडर से लोकसभा परिसर में इस बारे (समलैंगिकता को लेकर) सवाल पूछा था क्योंकि सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट लोग सबसे प्रगतिवादी माने जाते हैं. वो कार में बैठे थे और उनसे जवाब मांगा तो मुझे कहा कि माइक नीचे करो और कैमरा बंद करो. इसके बाद वे बोले कि इस ‘लौंडेबाजी’ पर हमसे क्यों पूछ रहे हो? तो तथाकथित प्रगतिवादी नेता भी इसे गलत मानते हैं.” 

टाइम कोड्स:

00:00:00 - 00:08:15 - हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं

00:08:16 - 00:33:33 - ‘विवाह का समान अधिकार’ के मुद्दे पर चर्चा

00:35:16 - 00:56:48 - कानून व्यवस्था, गैंगस्टर और सामाजिक मान्यता के मुद्दे पर चर्चा

00:56:49 - 00:59:17 सब्सक्राइबर्स के मेल 

00:59:18- 01:10:45  सलाह और सुझाव (हरीश अय्यर के सुझाव 00:33:34 से लेकर 00:35:14 तक सुने जा सकते हैं) 

इस हफ्ते क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

हरीश अय्यर 

श्रीधर रंगायन द्वारा निर्देशित फिल्म- इवनिंग शैडोज़ 

बेट्टी फेयरचाइल्ड और नैंसी हेयवर्ड की किताब- नाउ दैट यो नोः ए पैरेंट्स गाइड टू अंडरस्टैंडिंग देयर गे एंड लेस्बियन चिल्ड्रन

अभिज्ञान प्रकाश

यूट्यूब पर अलग-अलग तरह का संगीत सुनें (जैसे बॉब मार्ले का ऊं नमः शिवाय और रशियन गायक की हनुमान चालीसा)

किताब- फ्रॉम लखनऊ टू लुटियन्सः द पावर एंड प्लाइट ऑफ यूपी

हृदयेश जोशी 

सुरेश पंत की किताब- शब्दों के साथ-साथः जानिए कहां से, कैसे आते हैं शब्द और क्या है उनका सही प्रयोग 

शार्दूल कात्यायन 

न्यूज़लॉन्ड्री की पॉडकास्ट सीरीज़- लेट्स टॉक अबाउट बीजेपी का अगला एपिसोड 

डीडब्ल्यू की डॉक्यूमेंट्री- रिंच एंड पूअरः इनइक्वैलिटी इन नामीबिया 

ट्रांसक्राइब - तस्नीम फातिमा 

प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता

एडिटिंग - उमराव सिंह



source https://hindi.newslaundry.com/2023/04/22/nl-charcha-episode-263-on-marriage-equality-same-sex-marriage-and-state-law-and-order-in-india

Comments

Popular posts from this blog

Sushant Rajput case to Zubair arrest: The rise and rise of cop KPS Malhotra

Delhi University polls: Decoding first-time voters’ decisions

Hafta letters: Caste census, Israel-Palestine conflict, Bajrang Dal