एनएल चर्चा 268: संसद की नई इमारत और सांप्रदायिकता की पुरानी चुनौती

इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय 2000 रुपए के नोटों को रिजर्व बैंक द्वारा चलन से बाहर करना, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीन देशों का दौरा, संसद के नए भवन का उद्घाटन समारोह और उस पर उठ रहे सवाल, पहलवानों के प्रदर्शन का एक महीना पूरा, गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जनगणना कराए जाने की घोषणा, मणिपुर में तीन पत्रकारों पर हमला, बेंगलुरु में हुई बारिश के बाद अंडरपास में फंसने से एक शख्स की मौत, चीन द्वारा भारत के देपसांग मैदानी क्षेत्र में बफर जोन बनाने की मांग, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात के अलावा कूनो नेशनल पार्क में चीते के एक शावक की मौत रहे. 

चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान द वायर की एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार सीमा चिश्ती, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक पीयूष बबेले, वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा और न्यूज़लॉन्ड्री के संपादक (डेस्क) विकास जांगड़ा शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

नई संसद के उद्घाटन को लेकर हो रहे विवाद पर चर्चा करते हुए अतुल सवाल करते हैं, “यदि आपकी लोकतंत्र में आस्था है और जैसा कि परंपरा रही है तो देश के सर्वोच्च नागरिक होने के नाते राष्ट्रपति को आमंत्रित किया जाना चाहिए था. हालांकि, ऐसा कोई नियम नहीं है तो क्या माना जाए कि विपक्ष इस मामले को लेकर थोड़ा अतिरेकी हो रहा है?”

इस सवाल के जवाब में सीमा कहती हैं, “बात यहां महज परंपरा या राष्ट्रपति को बुलाकर इज्जत बख्शने की नहीं है. राष्ट्रपति संसद से मर्यादा और परंपरा के आधार पर ही नहीं बल्कि संस्थागत और संवैधानिक रूप से भी जुड़ा है. यहां तक कि संसद के नए सत्र की शुरुआत ही राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है. जबकि प्रधानमंत्री तो महज एक सांसद ही हैं. इसके अलावा एक वजह ये है कि प्रधानमंत्री मोदी सब चीजों के केंद्र में खुद ही बने रहना चाहते हैं. वे फोटो में भी किसी दूसरे शख्स को नहीं देखना चाहते हैं.”

इस विषय पर स्मिता कहती हैं, “इसमें किसी को कोई शक नहीं है कि जो कुछ भी हो रहा है, उसका सन्दर्भ आगामी चुनाव हैं. जाहिर सी बात है कि पिछले कुछ समय से विपक्ष ऐसे मुद्दों को ढूंढ रहा है जो उन्हें एकजुट कर सके. चाहे फिर वह राहुल गांधी की अयोग्यता का मसला हो या फिर दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने के लिए हाल ही में लाया गया अध्यादेश हो. विपक्ष एक गोंद की तलाश में है जो उसे जोड़ सके. ऐसे में ये मुद्दा भी वैसा ही है, जहां प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाना है और दूसरा इस समारोह की तारीख भी एक वजह है, जिसे लेकर विपक्ष को आपत्ति है क्योंकि यह सावरकर की जन्मतिथि भी है. जिसके अपने सन्देश हैं. लेकिन यह जो कुछ भी हो रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.”


टाइम कोड्स:

00:00:00 - 00:09:50 - इंट्रो व हेडलाइंस 

00:09:50 - 00:54:15 - सांप्रदायिकता, राजनीति और गांधी 

00:54:21 - 01:03:00 - नई संसद का उद्घाटन और विपक्ष का विरोध 

01:19:50 - जरूरी सूचना व सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

सीमा चिश्ती 

मनोज मिट्टा की किताब- कास्ट प्राइडः बैटल्स फॉर इक्वैलिटी इन हिंदू इंडिया

माइक मार्कीज़ की किताब- वॉर माइनस द शूटिंग: जर्नी थ्रू साउथ एशिया ड्यूरिंग क्रिकेट्स वर्ल्ड कप 

पॉल साइमन का एल्बम- सेवन साम्स  

पियूष बबेले 

रोमा रोला की किताब- महात्मा गांधी जीवन और दर्शन 

अतुल चौरसिया

पीयूष बबेले की किताब- गांधी : सियासत और सांप्रदायिकता

स्मिता शर्मा 

इयान ब्रेमर की किताब- एवरी नेशन फॉर इटसेल्फ

सुनो इंडिया पॉडकास्ट- बियॉन्ड नेशन एंड स्टेट 

विकास जांगड़ा 

इस हफ्ते की टिप्पणी 

महात्मा गांधी की जीवनी- सत्य के प्रयोग  

ट्रांस्क्राइबः तस्नीम फातिमा 

प्रोड्यूसरः चंचल गुप्ता 

एडिटर: उमराव सिंह 



source https://hindi.newslaundry.com/2023/05/27/nl-charcha-episode-268-on-piyush-babele-book-on-gandhi-and-communalism-new-parliament-demonetisation

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